Tuesday, February 1, 2011

अर्जेंटीना की कहानी

अर्जेंटीना
किसान, बाघ और लोमड़ी

बहुत सालों पहले की बात है एक स्थानीय बूढ़ा अपने खेत की जुताई कर रहा था। वह बैलों को छड़ी से हाँकते हुए पुराने और भारी हल के साथ जुताई कर रहा था। वह आदमी अपने बैलों के नाम पुकार कर उन्हें सजग रखे हुए था और जुताई को संचालित कर रहा था जिसे वे समझते थे।
जोर लगाओ बैल, सूरको, कोलोराडो, चलो बैल
वह जुताई के काम में इतना लीन था कि भयानक शत्रु यानी एक बाघ की उपस्थिति को भाँप न सका, जिसने खेत के पास छलाँग लगायी और दबे पाँव उसके पास आ गया। उस आदमी ने अपना काम रोक दिया और बैल भय से काँपने लगे।
मैं आया हूँ कि तुम मुझे खाने के लिए एक बैल दो- बाघ ने कहा।
ओह नहीं, श्रीमान बाघ, मैं अपने बैलों में से एक भी नहीं दे सकता, वे मुझे बहुत प्यारे हैं-घबराये हुए किसान ने जवाब दिया।
-तब तो तुम्हें मुझे दोनों देना होगा।
-श्रीमान बाघ, कृपा कर मुझ पर इतनी ज्यादती न करें। मुझ पर रहम करो।
-फिर मैं तुम्हें बैलों के साथ खाऊँगा-बाघ ने जवाब दिया जो कि अपने शिकार पर झपटने को तैयार था।
-नहीं श्रीमान बाघ, तुम मुझे कैसे खाओगे। मेरा परिवार बहुत गरीब है और उसे मेरी और बैलों की जरूरत है-व्यग्र किसान ने दोबारा कहा।
-मैं तुम्हें खाने जा रहा हूँ।
-नहीं श्रीमान, कैसे तुम मुझे खाओगे।
जब वे किसे खाये और किसे ना खाये की बातें कर रहे थे तभी वहाँ नजदीक से एक लोमड़ी गुजरा। उसने उनकी बातचीत सुनी और उस आदमी को बचाने का प्रस्ताव दिया। लोमड़ी घनी पत्तियों के पीछे छिप गया और कड़क व भारी आवाज में चिल्लाया- मित्र क्या तुमने यहाँ से किसी बाघ को गुजरते हुए नहंी देखा है? जिसे मारने के लिए दो सौ कुत्ते खोजते हुए घूम रहे हैं।
बाघ भारी भय से घिर गया। वह जितना हो सकता था सिकुड़ गया और स्थिर बना रहा और जमीन से चिपक गया।
-उसे कहो कि तुमने मुझे नहीं देखा है, यदि मैं तुम्हें खाने से इंकार करता हूँ तो-धीमे से बाघ ने आदमी से कहा यह भरोसा करते हुए कि वह बाघों का शिकारी है।
-नहीं श्रीमान, मैंने बहुत समय से बाघ को यहाँ गुजरते हुए नहीं देखा है।
-कैसे तुमने नहीं देखा मेरे दोस्त? और क्या यह ढेर पड़ा है तुम्हारे पास? ऐसा लगता है कोई बाघ फैला पड़ा है।
-कृपया उसे कहो कि बडे़ घोडे़ हैं।
-वे बड़े घोडे़ हैं श्रीमान जो कि मेरे पास बुआई के लिए हैं।
-यदि वे बडे़ घोड़े हैं तो उन्हें इस चमडे़ की थैली के भीतर रख दो जो वहाँ तुम्हारे पास है।
-कृपया तुरंत ही मुझे उस थैली के भीतर रख दो। समय बरबाद मत करो-बाघ ने आदमी से विनती करते हुए कहा।
उस आदमी ने जितनी जल्द हो सके बाघ को उस थैली के अंदर रख दिया और उससे कहा
-हो गया श्रीमान हो गया श्रीमान देखते नहंी कैसे मैं तुम्हारी आज्ञा मानता हूँ।
-उसे बांध दो मित्र, उस थैली के मुँह पर एक गाँठ बांध दो ताकि वह बड़ा फिर से खाली न हो जाय।
-तुमने थैली तो बांध दी लेकिन उसका मुँह खुला नहीं रखा-बाघ ने किसान से कहा।
आदमी उस थैली की मुँह को जितना बांध सकता था, बांध दिया।
-यह थैली बहुत पिलपिली है दोस्त, इसे कुल्हाड़ी के हत्थे से फैला दो, देर मत करो।
-मैंने किया जो तुमने कहा किन्तु इसका ख्याल रखा कि कोई मुझसे न खेले, देखो तुम मुझे तुरंत ही खाने वाले थे ना बहादुर।
आदमी ने कुल्हाड़ी उठायी और अपनी पूरी शक्ति के साथ बाघ के सिर पर वार किया जब तक कि वह मर न गया।
ऐसा चालाक था लोमड़ी जिसने आदमी की जान बचायी और बाघ की क्रूरता को मात दी।

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