आज अपने साढे़ तीन वर्ष के बेटे का नर्सरी स्कूल में दाखिला कराने के लिए सुबह नौ बजे से दोपहर एक बजे तक सपरिवार पंक्ति में खड़ा रहा। बेटे से उसका और माता-पिता का नाम पूछा गया जिसका उसने वही जवाब दिया जो था तब कहीं जाकर हमारी चार घंटे की ‘‘तपस्या’’ समाप्त हुई और अगर दाखिला मिला तो उसकी आरंभ होगी।
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